रांची. आजसू से 19 साल की दोस्ती टूटने और भाजपा के मंत्री सरयू राय का टिकट कटने के बाद झारखंड की राजनीतिक सरगर्मी परवान चढ़ गई है। भाजपा के लिए भी नई चुनौतियां खड़ी हो गईं। इन्हीं संदर्भों पर भाजपा के झारखंड चुनाव प्रभारी ओम माथुर से झारखंड के स्टेट एडिटर मोहन बागवान की खास बातचीत।
भास्कर : 19 साल से आपके साथ रही आजसू ने अब नया रास्ता पकड़ लिया है, इसके अलग होने से भाजपा को कितना नुकसान होने वाला है?
ओम माथुर : देखिए आजसू अब किसी वर्ग विशेष की पार्टी नहीं रही। इसलिए उसके अलग होने से बहुत ज्यादा नुकसान तो होने वाला नहीं है। हां इतना जरूर है कि जो सीट उनके लिए छोड़ी थी वहां हमें प्रत्याशी चयन में थोड़ी सावधानी बरतना पड़ रही है। वहां के सामाजिक समीकरण देखकर निर्णय करना पड़ रहे हैं।
भास्कर : चुनाव बाद आजसू से गठबंधन की संभावना...
ओम माथुर : आजसू हमारा पुराना मित्र है। चुनाव भले हम अलग-अलग लड़ें लेकिन माहौल सौहार्दपूर्ण हो। लड़ाई-झगड़ा नहीं हो। मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी आग्रह है कि ऐसा नहीं बोलें जिससे माहौल खराब हो। रिजल्ट के बाद क्या होगा, यह कहना जल्दबाजी होगा।
भास्कर : जरूरत पड़ी तो रिजल्ट के बाद क्या बाबूलाल मरांडी को भी साथ लेंगे?
ओम माथुर : फिलहाल वह चुनाव मैदान में जा चुके है। अगर वह आते है पार्टी स्वागत करेंगी लेकिन अभी इस संबंध में कुछ कह नहीं सकते। देखते है क्या होता है। वैसे हमें उम्मीद है कि भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी।
भास्कर : ऐसा दिख रहा है कि महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव के रिजल्ट के बाद भाजपा का आत्मविश्वास कम हो गया है। क्या झारखंड के चुनाव परिणाम पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा?
ओम माथुर : निश्चित रूप से जितनी उम्मीद थी उतनी सफलता हमें उन दोनों ही राज्यों में नहीं मिली। लेकिन मेरे लिए तो यह अलार्मिंग हो गया। महाराष्ट्र और हरियाणा के रिजल्ट से सबक लेकर मैं यहां काम भी करने लगा हूं।
भास्कर : सरयू राय ने बगावत के संकेत दे दिए है। इससे भाजपा खासकर मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपने विधानसभा क्षेत्र में मुश्किल हो सकती है?
ओम माथुर : सरयू राय को टिकट नहीं देने का निर्णय संसदीय बोर्ड का है। हमने हाईकमान को उनका नाम पैनल में भेजा था। जहां तक बगावत की बात है, राजनीति में ऐसे प्रसंग आते हैं, लेकिन भाजपा में पार्टी से बड़ा कुछ नहीं होता। कई उदाहरण हैं जब लोगों ने पार्टी छोड़ी फिर लौट आए।
भास्कर : पार्टी के कुछ नेता बगावती तेवर में हैं...
ओम माथुर : देखिए, यह क्षणिक और स्वाभाविक है। टिकट के लिए थोक में बायोडाटा आए। इतने सारे टिकट बंटने के बाद बावजूद केवल दो के ही इस्तीफे आए। कुछ लोग संतुष्ट नहीं है, नहीं मानेंगे तो पार्टी संविधान के तहत निपटा जाएगा।
भास्कर : झारखंड में भाजपा किन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी?
ओम माथुर : विकास, विकास और विकास ही हमारा मु्द्दा रहेगा। लेकिन राष्ट्रीय मुद्दे जैसे तीन तलाक, धारा 370 और राम मंदिर को भी हम लोगों के बीच रखेंगे।
भास्कर : इसका मतलब है भाजपा राम मंदिर को मुद्दा बनाकर इसका राजनीतिक फायदा लेगी?
ओम माथुर : पहले दिन से भाजपा कह रही है कि कोर्ट जो भी निर्णय देगा, वह हमें मंजूर होगा। यह दुर्भाग्य रहा कि जब भी कोर्ट ने तारीख दी, कांग्रेस के तथाकथित वकील खड़े हो गए कि बाद की तारीख दी जाएं। यह पहली सरकार थी जिसने कोर्ट में शपथपत्र दिया कि मामले की सुनवाई रोजाना होना चाहिए। केंद्र ने हिम्मत की, न्याय प्रणाली पर पूरा विश्वास किया। खुशी की बात है कि देश के समर्थ समाज ने इस निर्णय का स्वागत किया। मुझे उम्मीद है कि अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक समाज में मंदिर के कारण जो थोड़ा मनमुटाव था, वह भी कम होगा।
भास्कर : जितना आसान लग रहा था, उससे उलट सीट शेयरिंग और टिकट वितरण में पिछले दिनों काफी उठापटक हुई। क्या यहां के समीकरण समझने में आपको कुछ दिक्कत रही?
ओम माथुर : यह सही है कि मैंने जब काम शुरू किया तब तक चुनावी माहौल बन चुका था। राजनीति में इतनी उठापटक तो होगी ही। इसे खींचतान नहीं कहना चाहिए।
भास्कर : बिरंची नारायण, शशिभूषण मेहता जैसे दागी प्रत्याशियों को टिकट दे दिए गए है। क्या भाजपा राजनीतिक शुद्धिकरण के लिए आगे नहीं बढ़ेगी?
ओम माथुर : देखिए, बिरंची के मामले में अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है, वह रिकॉर्डिंग फेब्रिकेटेड है। जहां तक शशिभूषण या इनके जैसे किसी और प्रत्याशी की बात है, जब तक कोर्ट से साबित नहीं हो जाता, उन्हें कैसे दोषी मानेंगे। इनमें बहुत सारे आरोप राजनीतिक होते हैं। अमित शाह जी पर भी आरोप लगे, केस चला, लेकिन सब झूठा था।